ऋषि दयानन्द ने महाभारत युद्ध के बाद पराधीन भारत में स्त्री शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया था। उन्होंने ही स्त्रियों को वेदाध्ययन का अधिकार दिया। ऋषि दयानन्द के बाद स्वामी श्रद्धानन्द जी ने भी स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। जालन्धर के कन्या महाविद्यालय की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।

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देश में वैदिक परम्पराओं पर आधारित संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिये स्थापित शताधिक गुरुकुलों में एक नाम है ‘‘गुरुकुल आर्यनगर, हिसार”।

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वर्तमान समय में देहरादून में कन्याओं एवं बालकों के मुख्यतः तीन गुरुकुल संचालित हो रहे हैं। इनके नाम है श्री मद्दयानन्द आर्ष ज्योतिर्मठ गुरुकुल, पौंधा, द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल, देहरादून एवं कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून।

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अयोध्या मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जन्म भूमि एवं कौशल देश की राजधानी रही है। लाखों वर्ष पूर्व त्रेता युग में अयोध्या में रामचन्द्र जी अपने माता-पिता और परिवार जनों के साथ निवास करते थे। ऋषि मुनि भी पर्याप्त संख्या में हुआ करते थे जो अध्ययन अध्यापन के साथ राजाओं को राजनीतिक निर्णय लेने में परामर्श देते थे

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आर्यसमाज की विचारधारा पर आधारित देश में संचालित गुरुकुलों में ‘‘विरजानन्द-आश्रम-पाणिनि महाविद्यालय गुरुकुल, मुरथल-सोनीपत” का अनन्य स्थान है। इस गुरुकुल का पूरा पता है निकट शिवमन्दिर (राजवहा), ग्राम रेवली, पत्रालय ई0सी0 मुरथल, थाना मुरथल, तहसील सोनीपत, जिला सोनीपत, राज्य हरयाणा पिनकोड 131039। गुरुकुल से सम्पर्क के लिये मोबाइल नम्बर 7082111460 एवं 7082111457 हैं

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गुरुकुल वैदिक आश्रम, वेदव्यास, पत्रालय वेदव्यास, तहसील लाठिकटा जिला सुन्दरगढ़-769004 राज्य उड़ीसा में संचालित है। गुरुकुल से सम्पर्क करने के लिये मोबाईल न0 9937107981 पर सम्पर्क करने सहित ईमेल gurukulvedicashram@gmail.com पर भी सम्पर्क किया जा सकता है।

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गुरुकुल निगमनीडम् वेदगुरुकुलम् (सांगोपांग वेदमहाविद्यालय), तेलंगाना आर्यसमाज की विचारधारा का आदर्श गुरुकुल है। यह गुरुकुल महर्षि दयानन्द मार्ग, ग्राम पिडिचेड़, तहसील गज्वेल जिला सिद्धिपेट, राज्य तेलगांना पिनकोड 502278 पते पर स्थित है।

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ऋषि दयानन्द निर्दिष्ट वैदिक शिक्षा पद्धति से संचालित एक गुरुकुल है ‘‘महर्षि दयानन्द गुरुकुल महाविद्यालय, पूठ”। यह गुरुकुल गढ़मुक्तेश्वर के निकट पूठ ग्राम में है। पत्रालय बहादुरगढ़, तहसील गढ़मुक्तेश्वर तथा जिला हापुड, पिनकोड 245208, उत्तर प्रदेश में है।

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महर्षि दयानन्द ने वैदिक शिक्षा पद्धति का प्राचीन जाज्वल्यमान स्वरूप अपने क्रान्तिकारी ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश के तीसरे सम्मुल्लास में प्रस्तुत किया था। इस पद्धति पर देश के अनेक भागों में बड़ी संख्या में गुरुकुल संचालित किये जा रहे हैं। ऐसा ही एक गुरुकुल है ‘‘कान्हा आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय रुईखैरी, नागपुर”।

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देश भर में आर्यसमाज के लगभग शताधिक गुरुकुलों में एक नाम ‘‘वेद योग महाविद्यालय गुरुकुल, केह्लारी” का भी है। यह गुरुकुल मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में हैं। गुरुकुल मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले के केह्लारी ग्राम में है जहां कि जनसंख्या लगभग 2000 है और यह स्थान आर्थिक दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ है।

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आर्यसमाज की वैदिक विचारधारा के अनुरूप गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति को उत्तम मानते हुए ऋषि दयानन्द के अनुयायी देश के अनेक भागों में गुरुकुलों का संचालन कर रहे हैं। ऐसा ही एक गुरुकुल है ‘‘आर्ष गुरुकुल दयानन्द वाणी, मधुबनी (बिहार)’’।

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गुरुकुल महाविद्यालय, झज्जर आर्यसमाज का प्रसिद्ध एवं प्रमुख गुरुकुल है। यह गुरुकुल हरियाणा राज्य के झज्जर जिले में स्थित है। इसका सम्पर्क सूत्र पत्रालय झज्जर, तहसील झज्जर, पिनकोड 124103, दूरभाष/मोबाइल नं0 9416055044

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