19 Apr
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ओ३म्

“उड़ीसा में आर्यसमाज का गुरुकुल वैदिक आश्रम, वेदव्यास- सुन्दरगढ़”

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गुरुकुल वैदिक आश्रम, वेदव्यास, पत्रालय वेदव्यास, तहसील लाठिकटा जिला सुन्दरगढ़-769004 राज्य उड़ीसा में संचालित है। गुरुकुल से सम्पर्क करने के लिये मोबाईल न0 9937107981 पर सम्पर्क करने सहित ईमेल gurukulvedicashram@gmail.com पर भी सम्पर्क किया जा सकता है। गुरुकुल की अपनी वेबसाईट भी है। यह वेबसाइट www.gurukulvedicashram.org है। इस गुरुकुल की स्थापना दिनांक 12 फरवरी सन् 1960 को स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती जी ने की थी। गुरुकुल के संस्थापक आचार्य थे स्वामी शिवानन्द तीर्थ और पूर्व आचार्यों हैं पं0 देशपाल दीक्षित, पं0 दयानन्द व्याकरणाचार्य, स्वामी सत्यपाल, पं0 नागेन्द्र झा, पं0 विशिकेसन शास्त्री, पं0 योगेन्द्र कुमार उपाध्याय, पं0 राधाकान्त पण्डा, आचार्य शुभैशी वानप्रस्थी, पं0 गोविन्दानन्द आचार्य, पं0 हरिशरण आचार्य जी। गुरुकुल का संचालन एक प्रबन्ध समिति के द्वारा होता है जिसका नाम है ‘‘वनवासी विद्यासभा, गुरुकुल वैदिक आश्रम ट्रस्ट”।  गुरुकुल उड़ीसा राज्य के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध है। यहां मध्यमा (एच0एस0सी0) का संस्कृत का विशेष पाठ्यक्रम है जिसका अध्यापन कराया जाता है। गुरुकुल को उड़ीसा सरकार ने दिनांक 10 जुलाई, सन् 1968 को मान्यता प्रदान की है। 


गुरुकुल में विभिन्न कक्षाओं में निम्नलिखित छात्र अध्ययन कर रहे हैं:


प्रथमा प्रथम वर्ष - 21 विद्यार्थी

प्रथमा द्वितीय वर्ष - 25 विद्यार्थी

प्रथमा तृतीय वर्ष - 26 विद्यार्थी

मध्यमा प्रथम वर्ष - 26 विद्यार्थी

मध्यमा द्वितीय वर्ष - 28 विद्यार्थी 

कुल विद्यार्थी 126 हैं। 


गुरुकुल की अपनी 6.38 एकड़ भूमि है। गुरुकुल में जो भवन आदि की सुविधायें हैं, उनका विवरण निम्नानुसार हैः


1-  कार्यालय

2-  स्वामी ब्रह्मानन्द स्मृति भवन

3-  अतिथिशाला

4-  दयानन्द शिशु भवन

5-  वेद मंदिर 

6-  संन्यास कुटिर

7-  मुख्याधिष्ठाता कुटिर 

8-  यज्ञशाला (2 यज्ञशालायें हैं)

9-  आचार्य भवन 

10- भण्डार गृह

11- भोजनालय

12- पाकशाला

13- विद्यालय भवन

14- सभा भवन



गुरुकुल के द्वारा ‘‘दयानन्द शिशु केयर भवन” एवं ‘‘गुरुकुल संस्कृत महाविद्यालय” भी संचालित किये जाते हैं।  गुरुकुल की शिक्षणेतर गतिविधियां निम्न हैं:


1-  वैदिक साहित्य का प्रकाशन

2-  आर्यसमाजों की स्थापना व संचालन में मार्गदर्शन वा सहयोग

3-  शुद्धि संस्कार

4-  आर्यसमाज के सिद्धान्तों, मान्यताओं एवं इसकी विचारधारा का प्रचार। 

5-  वैदिक यज्ञों का आयोजन

6-  आर्य पर्वों का आयोजन वा पालन

7-  योग शिक्षा 

8-  विवाह आदि संस्कार

9-  आपतकालीन सहायता 

7-  अनेक सम्मेलनों का आयोजन


गुरुकुल के विद्यार्थी अपना अध्ययन पूरा कर राजकीय सेवाओं में नियुक्त हो सकते वा होते हैं। कुछ अध्यापन का कार्य करते है तो कुछ समाज सेवा के कार्य को अपनाते हैं। कुछ छात्र देश सेवा व कुछ आर्यसमाज के लिये अपनी सेवायें समर्पित करते हैं। गुरुकुल दानी महानुभावों के दान सहित स्थिर निधि पर प्राप्त होने वाले ब्याज से संचालित होता है। अनाथ बच्चों के लिये राज्य सरकार से अनुदान प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार से गुरुकुल के चार शिक्षिकों को मानदेय प्राप्त होता है। गुरुकुल को अपने यहां एक मुद्रणालय स्थापित करने के लिये दानी महानुभावों से सहयोग की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त एक संगीत विद्यालय की स्थापना भी की जानी है। वैदिक साहित्य गवेषणा केन्द्र की स्थापना करने का भी विचार है। इन सब कार्यों के लिये जनसहयोग अर्थात् दान की अपेक्षा है। गुरुकुल सरकार से अपेक्षा करता है कि वह गुरुकुल के अन्तर्गत एक वनौषधी पार्क एवं एक आयुर्वेदिक महाविद्यालय की स्थापना में पूर्ण आर्थिक सहयोग प्रदान करे। 


गुरुकुल के अधिकारियों द्वारा श्रीमद्दयानन्द वैदिक गुरुकुल परिषद के गठन का स्वागत किया गया है। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक समयोपयोगी प्रयास कहा है। उनका सुझाव है कि इस परिषद के नियम व उपनियम तैयार किये जायें और परिषद के केन्द्रीय बोर्ड सहित सभी प्रान्तों में प्रान्तीय समितियों का गठन भी किया जाये। उनका यह भी सुझाव है कि सभी गुरुकुलों के समान पाठ्यक्रम व पाठविधि के लिये परिषद को राज्य सरकार से सम्पर्क स्थापित करना चाहिये। 


गुरुकुल के वर्तमान आचार्य पं0 सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय हैं। इनका चलभाष 9776410384 है। गुरुकुल की प्रबन्ध समिति के प्रधान आचार्य डॉ0 देवव्रत जी, मंत्री श्री रामचन्द्र साहु जी एवं कोषाध्यक्ष पं0 धनेश्वर बेहेरा जी हैं। ओ३म् शम्। 


-मनमोहन कुमार आर्य

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