हमारे पूर्वजन्म के शुभ कर्मों के आधार पर हमें सभी प्राणियों में श्रेष्ठ मनुष्य योनि में जन्म मिला है। जीवन का कुछ व अधिकांश भाग हम व्यतीत कर चुके हैं। कुछ भाग शेष है जिसके बाद हमारी मृत्यु का होना अवश्यम्भावी है और यह निर्विवाद सत्य है। हम जीवन में शरीर के पालन हेतु आहार, विहार तथा व्यायाम आदि पर ध्यान देते हैं। कुछ लोग जिह्वा के स्वाद में पड़कर आहार के नियमों का उल्लंघन भी करते हैं।

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प्रश्न―"ईश्वर अवतार लेता है"―भगवान श्री कृष्ण ने तो गीता में ऐसा ही कहा है।* उत्तर―*अवतार कहते हैं―ऊपर से नीचे उतरना। आत्मा एकदेशी है, अतः उसका अवतरित होना सम्भव है, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। पहले भगवान किसे कहते हैं इसे समझने की आवश्यकता है।

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नास्तिक― इस संसार का कर्त्ता,धर्त्ता,संहर्त्ता कोई नहीं।आग,हवा,मिट्टी,पानी चारों तत्व स्वतः अपने आप स्वभाव से मिलते हैं और उससे जगत की उत्पत्ति हो जाती है।

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🌷प्रत्येक व्यक्ति सरलतम रूप में ईश्वर को जानना व उसे प्राप्त करना चाहता है। हिन्दू समाज में अनेकों को मूर्ति पूजा सरलतम लगती है क्योंकि यहां स्वाध्याय, ज्ञान व जटिल अनुष्ठानों आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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प्रश्न) आप सब धर्मो का खंडन करते ही आते हो परन्तु अपने अपने धर्म में सब अच्छे है। किसी भी धर्म का खंडन नहीं करना चाहिए।जो आप दूसरे के धर्मो का खंडन करते हो तो आप इन से विशेष क्या बतलाते हो?......

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