11 May
11May

पेप्सी बोली सुन कोका कोला !

भारत का इन्सान है बहुत भोला।


विदेश से मैं आयी हूँ, 

साथ में मौत को लायी हूँ ।


लहर नहीं ज़हर हूँ मैं, 

गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं ।


मेरी पी.एच. दो पॉइन्ट सात, 

मुझ में गिरकर गल जायें दाँत ।


जिंक आर्सेनीक लेड हूँ मैं, 

काटे आतों को, वो ब्लेड हूँ मैं ।


हाँ दूध मुझसे सस्ता है, 

फिर पीकर मुझको क्यों मरना है ।


540 करोड़ कमाती हूँ, 

विदेश में ले जाती हूँ ।


मैं पहुँची हूँ आज वहाँ पर, 

पीने को नहीं पानी जहाँ पर ।


छोड़ो नकल अब अकल से जीयो, 

और जो कुछ पीना संभल के ही पीयो ।


बच्चों को यह कविता सुनाओ,

नीबूपानी पिओ सौ साल जिओ ॥


(इसको आगे भेजते जाइये,

भारत के भविष्य को संवारिये )

कमैंट्स
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