नियोग प्रथा, वैदिक कालीन समाज में, *केवल आपत्काल के लिए* एक सहज स्वीकार्य प्रथा रही है। परिवार के सुख, पूर्णता तथा वंश संरक्षण और उन्नति के लिए इस प्रथा का प्रचलन हुआ था। यह प्राचीन काल से लेकर पुराणकाल तक मिलती है। पांच पाण्डव, धृतराष्ट्र, विदुर आदि दर्जनों प्राचीन राजा, ऋषि-मुनि नियोगज सन्तानें थीं। पति या पत्नी की मृत्यु हो जाने पर अथवा पति या पत्नी के असाध्य रोग से ग्रस्त होने पर सन्तानार्थ यह विधि अपनाई जाती थी जो परिवार-संस्था को बचाने का उपयोगी उपाय थी।

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