ऋषि दयानन्द ने महाभारत युद्ध के बाद पराधीन भारत में स्त्री शिक्षा पर सबसे अधिक बल दिया था। उन्होंने ही स्त्रियों को वेदाध्ययन का अधिकार दिया। ऋषि दयानन्द के बाद स्वामी श्रद्धानन्द जी ने भी स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। जालन्धर के कन्या महाविद्यालय की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।

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