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-परिचय-
“द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून”
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द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून वैदिक शिक्षा पद्धति पर संचालित कन्याओं की देहरादून की एक प्रमुख गुरुकुलीय संस्था है। यह गुरुकुल किशनपुर निकट मानव कल्याण केन्द्र, देहरादून में स्थित है। इसका डाक का पता है, 35-ए किशनपुर, राजपुर, देहरादून-248009 उत्तराखण्ड। मोबाइल से भी गुरुकुल से सम्पर्क किया जा सकता है। इसके लिये सम्पर्क न0 7983091104 एवं 7895617280 हैं। गुरुकुल की स्थापना 15 अगस्त, 1997 को स्व. डा0 वेद प्रकाश गुप्ता जी द्वारा की गई थी। इस गुरुकुल की संस्थापक आचार्या डॉ0 अन्नपूर्णा नन्द हैं। गुरुकुल का संचालन एक समिति के द्वारा किया जा सकता है। गुरुकुल अपनी पूरी क्षमता से संचालित व गतिशील है। यहां आर्ष पाठ विधि से अध्ययन कराया जाता है। गुरुकुल उत्तराखण्ड संस्कृत बोर्ड एवं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से सम्बद्ध है। गुरुकुल स्नातक व स्नात्कोत्तर (प्राचीन व्याकरण) पाठ्यक्रमों के लिये उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार से मान्यता प्राप्त है। गुरुकुल में पूर्व प्रथमा से आचार्य पर्यन्त लगभग 150 छात्रायें अध्ययनरत हैं। गुरुकुल की भूमि एवं भवन सरकार रिकार्ड में गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत हैं। भूमि का क्षेत्रफल लगभग डेढ़ बीघा है। गुरुकुल में छात्राओं के आवास के लिये लगभग 15 कमरे हैं तथा 7 कमरे अध्ययन कक्ष के लिये हैं।
अध्ययन के साथ गुरुकुल की छात्रायें यज्ञ, योग तथा प्राणायाम आदि नियमित रूप से करती हैं। संस्कृत सम्भाषण शिविर एवं योग साधना शिविरों आदि का आयोजन यहां होता रहता है। गुरुकुल के माध्यम से संस्कृत का प्रचार व प्रसार भी किया जाता है। आचार्या जी अपने उपदेशों एवं व्याख्यानों के द्वारा वेद प्रचार भी करती हैं। गुरुकुल में गोशाला एवं होम्योपैथी चिकित्साशाला भी है। यहां कम्प्यूटर, सिलाई, संगीत (गायन एवं वादन), जुडो-कराटे सहित अस्त्र-शस्त्र संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
गुरुकुल की अनेक उपलब्धियां है। सन् 2007 से 2018 तक निरन्तर आचार्य कक्षा (विषय प्राचीन व्याकरण) में छात्राओं ने स्वर्ण पदक प्राप्त किये हैं। गुरुकुल की दो छात्राओं ने स्नातक स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। इस द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की छात्राओं ने अनेक संस्कृत व हिन्दी की प्रतियोगिताओं में प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त कर शील्ड एवं नकद पुरस्कार भी प्राप्त किये हैं। गुरुकुल की अनेक छात्रायें अपना अध्ययन पूरा करके अध्यापन क्षेत्र में प्रवक्ता तथा अध्यापक आदि का कार्य कर रहीं हैं। कुछ छात्रायें वेद प्रचार करती हैं तथा कुछ गुरुकुलों का संचालन भी कर रही हैं। गुरुकुल में आय का स्रोत दान है। गुरुकुल की प्रधानाचार्या, तीन शिक्षकों एवं एक परिचारिका का वेतन राज्य/केन्द्र सरकार से प्राप्त होता है। संस्कृत अकादमी एक अध्यापिका को प्रतिमाह 600 रुपये का मानदेय प्रदान करती है।
गुरुकुल को अध्ययन कक्ष, पुस्तकालय, फर्नीचर, भोजन सामग्री सहित निर्धन छात्राओं के अध्ययन हेतु छात्रवृत्तियों की आवश्यकता है। समाज के धनी मानी व दानी इस कार्य में सहयोग दे सकते हैं। गुरुकुल प्रदेश व केन्द्र सरकार से अपेक्षा रखता है कि वह वेद रक्षा कार्यों में गुरुकुल व आर्यसमाज का सहयोगी बनें और इन कार्यों का आर्थिक सहायता प्रदान करके पोषण करें। संस्कृत अध्ययन करने वाले छात्र व छात्राओं को सरकार की ओर छात्रवृत्ति के रूप में सहायता मिलनी चाहिये। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य