30 May
30May


ओ३म्

-परिचय-

“सीमित साधनों में कार्यरत है मातृ मन्दिर कन्या गुरुकुल, वाराणसी”

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महर्षि दयानन्द द्वारा सत्यार्थप्रकाश के तीसरे समुल्लास में पोषित गुरुकुल परम्परा का एक कन्या गुरुकुल है ‘‘मातृ मन्दिर कन्या गुरुकुल, वाराणसी”। गुरुकुल का पता है डी-45/129 निकट नई बस्ती ग्राम रामापुरा पत्रालय लक्सा थाना लक्सा तहसील सदर जिला वाराणसी-221010 राज्य उत्तरप्रदेश। गुरुकुल का ई-मेल है matrimandir.VNS@gmail.com तथा सम्पर्क के लिये मोबाइल न0 9450150961 है। गुरुकुल की स्थापना सन् 1960 में स्मृतिशेष आचार्या डॉ0 पुष्पावती जी ने की थी। आप ही इस गुरुकुल की संस्थापक आचार्या जी थी। गुरुकुल का संचालन मातृ मंदिर संस्था द्वारा किया जाता है। गुरुकुल मे ंआर्ष पद्धति से अध्ययन कराया जाता है। गुरुकुल उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद से सम्बद्ध है। गुरुकुल उत्तर मध्यमा अर्थात् कक्षा 6 से 12 तक मान्यता प्राप्त है। गुरुकुल में इन दिनों 25 ब्रह्मचारिणियां अध्ययन कर रही हैं। गुरुकुल की सम्पत्ति गुरुकुल के नाम पर पंजीकृत है। गुरुकुल की कुछ सम्पत्ति पर एक पूर्व व्यक्ति द्वारा कब्जा भी किया हुआ है। कुल की सम्पत्ति पर दृष्टि डालें तो यह 1720 वर्ग फीट है। इस भूमि पर तीन मंजिला भवन बना हुआ है जिसके लिये प्रयत्न किये गये हैं। भवन में कुल आठ कमरे हैं। गुरुकुल में संस्कृत पाठशाला भी चलाई जाती है। इस गुरुकुल में अध्ययन सहित अन्य प्रकल्पों में सन्ध्या, यज्ञ, व्यायाम, प्राणायाम, कम्प्यूटर शिक्षा, गृहशिल्प आदि भी नियमित रूप से सिखायें जाते हैं। 


गुरुकुल में अध्ययनरत छात्रायें संस्कारित होकर अध्ययन के बाद अध्यापन एवं आदर्श गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए स्वतन्त्र रूप से वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करती हैंं। यह गुरुकुल उदार दानी महानुभावों के सहयोग से संचालित है। गुरुकुल को केन्द्र व राज्य सरकार से किसी प्रकार की कोई सहायता प्राप्त नहीं है। गुरुकुल की आवश्यकताओं पर दृष्टि डालें तो गुरुकुल के पुराने जर्जरित भवन के जीर्णोद्धार अर्थात् मरम्मत की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त छात्राओं के लिये एक पुस्तकालय एवं वाचनालय की भी आवश्यकता है। उदार दानी महानुभाव इस कार्य में गुरुकुल के सहयोगी हो सकते हैं। 


गुरुकुल की आचार्या जी यह अनुभव करती हैं कि आर्यसमाज से जुड़े देश के सभी गुरुकुलों में एक समान पाठ्यक्रम होना चाहिये। सभी गुरुकुलों का एक वैदिक शिक्षा बोर्ड होना चाहिये जिसमें ऋषि दयानन्द की मान्यताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम हो। इसके लिये आर्यसमाज की सभी संस्थाओं को प्रयास करने चाहियें। 


वर्तमान समय में डॉ0 गायत्री आर्या जी गुरुकुल की प्राचार्या व आचार्या हैं। श्री अशोक कुमार त्रिपाठी जी मंत्री/सचिव एवं श्री राजेश राय जी कोषाध्यक्ष हैं। इन पंक्तियों के लेखक की इस गुरुकुल, इसकी आचार्या जी व सभी छात्राओं को शुभकामनायें हैं। ओ३म् शम्। 

व्हाट्सएप से साभार-------

लेखक -मनमोहन कुमार आर्य

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