नास्तिक― इस संसार का कर्त्ता,धर्त्ता,संहर्त्ता कोई नहीं।आग,हवा,मिट्टी,पानी चारों तत्व स्वतः अपने आप स्वभाव से मिलते हैं और उससे जगत की उत्पत्ति हो जाती है।
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नास्तिक― इस संसार का कर्त्ता,धर्त्ता,संहर्त्ता कोई नहीं।आग,हवा,मिट्टी,पानी चारों तत्व स्वतः अपने आप स्वभाव से मिलते हैं और उससे जगत की उत्पत्ति हो जाती है।
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