19 Apr
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ओ३म्

--परिचय--

“ओडिशा में स्वामी धर्मानन्द सरस्वती जी के नेतृत्व में कार्यरत प्रसिद्ध गुरुकुल आश्रम आमसेना”

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गुरुकुल आश्रम आमसेना आर्यजगत का विख्यात गुरुकुल है। यह गुरुकुल खरियार रोड, ग्राम आमसेना, पत्रालय आमसेना थाना जोंक तहसील नुवापारा जिला नवापारा राज्य ओडिशा-766104 में स्थित है। इस गुरुकुल से दूरभाष संख्या 8280283034, मोबाइल नं0 7873111213, ईमेल aumgurukul@rediffmail.com एवं वेबसाइट www.vedicgurukulamsena.com पर सम्पर्क किया जा सकता है। इस गुरुकुल की स्थापना 7 मार्च सन् 1968 को इसके संस्थापक स्वामी धर्मानन्द सरस्वती जी ने की थी। स्वामी व्रतानन्द सरस्वती जी गुरुकुल के संस्थापक आचार्य हैं। स्वामी धर्मानन्द जी ने गुरुकुल में आचार्यत्व भी किया है। गुरुकुल का संचालन प्राचीन भारतीय विद्या सभा द्वारा किया जाता है। गुरुकुल गतिशील है और यहां इस समय 179 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। गुरुकुल में आर्ष व्याकरण पद्धति से शिक्षा दी जाती है। यह गुरुकुल परीक्षाओं की दृष्टि से महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक से सम्बद्ध है। गुरुकुल का कक्षानुसार विवरण भी हमें उपलब्ध है। कक्षा 6 से कक्षा 12 तक गुरुकुल में क्रमश: 36, 28, 33, 32, 19, 11 एवं 20, कुल 179 छात्र अध्ययनरत हैं। गुरुकुल का भवन आदि का परिसर साढे तीन एकड़ में बना है। इसके अतिरिक्त गुरुकुल के पास 80 एकड़ कृषि योग्य भूमि भी है। गुरुकुल की समस्त अचल सम्पत्ति अपने अधिकार में है जिस पर किसी किरायेदार आदि का कोई कब्जा नहीं है। गुरुकुल में उपलब्ध कुल 75 कक्षों व भवनों में पाकशाला भवन एवं 3 सभा भवन सम्मिलित हैं। 

गुरुकुल में फार्मेसी, गोशाला, साहित्य प्रकाशन केन्द्र, कुश्ती स्थल, संगीत कक्ष, सिलाई-कढ़ाई कक्ष, कृषि उद्यान एवं धर्मार्थ चिकित्सालय कार्यरत हैं। गुरुकुल की शिक्षणेतर गतिविधियों में कुश्ती, संगीत, धनुर्विद्या, सिलाई, कढ़़ाई, कम्प्यूटर आदि का प्रशिक्षण शामिल है। यहां युवा चरित्र निर्माण शिविरों का आयोजन भी किया जाता है। गुरुकुल की उपलब्धियों पर ध्यान दें तो यहां कुश्ती में प्रवीण राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं। यहां के ब्रह्मचारी शास्त्र स्मरण प्रतियोगिता में भी भाग लेते हैं व स्वर्ण पदक आदि से पुरस्कृत हुए हैं। गुरुकुल के छात्र यहां अध्ययन करने के बाद अन्य विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिये जाते हैं। कुछ अध्यापक बनते हैं और अन्य पुरोहित एवं व्यापार आदि का कार्य करते हैं। गुरुकुल की आय के स्रोत धर्मस्व वा दान तथा स्थिर निधियां हैं। कृषि से उत्पन्न अन्न आदि से भी गुरुकुल को सहयोग मिलता है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान से गुरुकुल को आर्थिक सहयोग प्राप्त होता है। 


गुरुकुल में अधिकांश निर्धन छात्र अध्ययन करते हैं जो अपने अध्ययन का व्यय वहन नहीं कर सकते। इनके लिये आर्यसमाज के दानी महानुभावों से छात्रवृत्तियों की अपेक्षा है। सरकार से भी अपेक्षा गुरुकुल प्रबन्धन अपेक्षा करता है कि यहां के अध्यापकों व आचार्यों को वेतन दिया जाया करे। गुरुकुल प्रबन्धन आर्यसमाज की सभा संस्थाओं से अपेक्षा करता है कि वह गुरुकुल परिषद द्वारा दर्शन एवं व्याकरण के अध्यापकों को उचित मानदेय पर नियुक्ति दिलाने में सहयोग करें। यह भी बता दें कि माता परमेश्वरी देवी जी गुरुकुल आश्रम आमसेना की प्रधाना हैं। स्वामी व्रतानन्द सरस्वती जी प्रबन्धन समिति के मंत्री एवं श्री रामनिवास गोयल जी कोषाध्यक्ष हैं। 

यह भी जान लें कि उड़ीसा भारत का एक पिछड़ा हुआ प्रदेश हैं। यहां निर्धनता बहुत अधिक हैं। ईसाई मिशनरी लोग यहां के गरीब लोगों का बहका फुसला कर धर्मान्तरण करते रहते हैं। समाचार पत्रों में भी यहां के समाचार व घटनायें प्रकाशित होते रहे हैं। यहां बड़ी संख्या में ईसाई मिशनरी संलग्न है। लोगों को धर्मान्तरण से बचाने के लिये ही स्वामी धर्मानन्द सरस्वती जी ने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए अपना पूरा जीवन इस गुरुकुल के लिये लगाया है। गुरुकुल धर्मान्तरण पर भी नजर रखता है और लोगों को वैदिक धर्म का महत्व समझाता है। समूचा आर्यजगत व देश स्वामी धर्मानन्द जी व इसके आचार्य जी का ऋणी हैं। गुरुकुल से एक मासिक पत्रिका "कुलभूमि" का प्रकाशन भी होता है जिसमे उच्च कोटि के लेख होते हैं।  हमारा अनुमान है की आर्य समाज के उत्साही ऋषिभक्त कीर्तिशेष चौधरी मित्रसेन जी व उनका परिवार इस गुरुकुल की सर्वाधिक आर्थिक सहायता करता है।  यह परिवार आर्यसमाज के कुछ अन्य गुरुकुलों की भी मुक्त हस्त से सहायता करता है।  इनका यह कार्य प्रशंसनीय एवं प्रेरणादायक है।  देश के सभी धनाड्य आर्यो व हिन्दुओं को यहां के बच्चे वा छात्रों को गोद लेना चाहिये तथा गुरुकुल की आर्थिक सहायता करनी चाहिये।


हम स्वामी धर्मानन्द सरस्वती और स्वामी व्रतानन्द सरस्वती जी को शुभकामनायें देते हैं और आर्यसमाज की ओर से उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन एवं धन्यवाद व्यक्त करते हैं। ओ३म् शम्। 


-मनमोहन कुमार आर्य

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