हमारे पूर्वजन्म के शुभ कर्मों के आधार पर हमें सभी प्राणियों में श्रेष्ठ मनुष्य योनि में जन्म मिला है। जीवन का कुछ व अधिकांश भाग हम व्यतीत कर चुके हैं। कुछ भाग शेष है जिसके बाद हमारी मृत्यु का होना अवश्यम्भावी है और यह निर्विवाद सत्य है। हम जीवन में शरीर के पालन हेतु आहार, विहार तथा व्यायाम आदि पर ध्यान देते हैं। कुछ लोग जिह्वा के स्वाद में पड़कर आहार के नियमों का उल्लंघन भी करते हैं।

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प्रश्न―"ईश्वर अवतार लेता है"―भगवान श्री कृष्ण ने तो गीता में ऐसा ही कहा है।* उत्तर―*अवतार कहते हैं―ऊपर से नीचे उतरना। आत्मा एकदेशी है, अतः उसका अवतरित होना सम्भव है, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। पहले भगवान किसे कहते हैं इसे समझने की आवश्यकता है।

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सृष्टि में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम एवं महर्षि बाल्मीकि जी का जन्म होना आर्यों व हिन्दुओं के लिए अति गौरव की बात है।

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