नास्तिक― इस संसार का कर्त्ता,धर्त्ता,संहर्त्ता कोई नहीं।आग,हवा,मिट्टी,पानी चारों तत्व स्वतः अपने आप स्वभाव से मिलते हैं और उससे जगत की उत्पत्ति हो जाती है।

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🌷प्रत्येक व्यक्ति सरलतम रूप में ईश्वर को जानना व उसे प्राप्त करना चाहता है। हिन्दू समाज में अनेकों को मूर्ति पूजा सरलतम लगती है क्योंकि यहां स्वाध्याय, ज्ञान व जटिल अनुष्ठानों आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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