🌷🍃ओ३म् सादर नमस्ते जी 🌷🍃
🌷🍃आपका दिन शुभ हो 🌷🍃
दिनांक - - १७ मार्च २०१९
दिन - - रविवार
तिथि - - एकादशी
नक्षत्र- - पुष्य
पक्ष - - शुक्ल
माह - - फाल्गुन
ऋतु - - शिशिर
सूर्य - - उत्तरायण
सृष्टि संवत् - - १,९६,०८,५३,११९
कलयुगाब्द - - ५११९
विक्रम संवत् - - २०७५
शक संवत् - - १९४०
दयानंदाब्द - - १९६
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🌷वैदिक प्रशनोत्तरी🌷
प्र.१ - वेद किसे कहते है ?
उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।
प्र.२ - वेद-ज्ञान किसने दिया ?
उत्तर- वेद ज्ञान, ईश्वर ने दिया।
प्र.३ - ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?
उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।
प्र.४- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।
प्र.५ - वेद कितने है ?
उत्तर- चार प्रकार के ।
१ -ऋग्वेद
२ - यजुर्वेद
३ - सामवेद
४ - अथर्ववेद
प्र.६ - वेदों के ब्राह्मण ।
वेद ब्राह्मण
१ - ऋग्वेद - ऐतरेय
२ - यजुर्वेद - शतपथ
३ - सामवेद - तांड्य
४ - अथर्ववेद - गोपथ
प्र.७ - वेदों के उपवेद कितने है।
उत्तर - वेदों के चार उप वेद है ।
वेद उपवेद
१ - ऋग्वेद - आयुर्वेद
२ - यजुर्वेद - धनुर्वेद
३ -सामवेद - गंधर्ववेद
४ - अथर्ववेद - अर्थवेद
प्र ८ - वेदों के अंग हैं कितने होते है ।
उत्तर - वेदों के छः अंग होते है ।
१ - शिक्षा
२ - कल्प
३ - निरूक्त
४ - व्याकरण
५ - छंद
६ - ज्योतिष
प्र.९ - वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?
उत्तर- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने चार ऋषियों को दिया ।
वेद ऋषि
१ - ऋग्वेद - अग्नि ऋषि
२ - यजुर्वेद - वायु ऋषि
३ - सामवेद - आदित्य ऋषि
४ - अथर्ववेद - अंगिरा ऋषि
प्र.१० - वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?
उत्तर- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को समाधि की अवस्था में दिया ।
प्र.११ - वेदों में कैसा ज्ञान है ?
उत्तर- वेदों मै सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान है ।
प्र.१२ - वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- वेदों के चार विषय है।
वेद - विषय
१ - ऋग्वेद - ज्ञान
२ - यजुर्वेद - कर्म
३ - सामवेद - उपासना
४ - अथर्ववेद - विज्ञान
प्र.१३ - किस वेद में क्या है।
ऋग्वेद में।
१ - मंडल - १०
२ - अष्टक - ०८
३ - सूक्त - १०२८
४ - अनुवाक - ८५
५ - ऋचाएं - १०५८९
यजुर्वेद में।
१ - अध्याय - ४०
२- मंत्र - १९७५
सामवेद में।
१ - आरचिक -०६
२ - अध्याय - ०६
३ - ऋचाएं - १८७५
अथर्ववेद में।
१ - कांड - २०
२ - सूक्त - ७३१
३ - मंत्र - ५९७७
प्र.१४ - वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ?
उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।
प्र.१५ - क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?
उत्तर- वेदों में मूर्ति पूजा का विधान बिलकुल भी नहीं।
प्र.१६ - क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?
उत्तर- वेदों मै अवतारवाद का प्रमाण नहीं है।
प्र.१७ - सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?
उत्तर- सबसे बड़ा वेद ऋग्वेद है।
प्र.१८ - वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?
उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब ९६ करोड़ ८ लाख ५३ हजार वर्ष पूर्व ।
प्र.१९ - वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों के क्या नाम है ?
उत्तर-
१ - न्याय दर्शन - गौतम मुनि।
२ - वैशेषिक दर्शन - कणाद मुनि।
३ - योगदर्शन - पतंजलि मुनि।
४ - मीमांसा दर्शन - जैमिनी मुनि।
५ - सांख्य दर्शन - कपिल मुनि।
६ - वेदांत दर्शन - व्यास मुनि।
प्र.२० - शास्त्रों के विषय क्या है ?
उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।
प्र.२१ - प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?
उत्तर- प्रामाणिक उपनिषदे केवल ग्यारह है।
प्र.२२ - उपनिषदों के नाम बतावे ?
उत्तर-
१ -ईश ( ईशावास्य ) २ - केन ३ -कठ ४ -प्रश्न ५ -मुंडक ६ -मांडू ७ -ऐतरेय ८ -तैत्तिरीय ९ - छांदोग्य
१०-वृहदारण्यक ११ - श्वेताश्वतर ।
प्र.२३ - उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?
उत्तर- उपनिषदों के विषय वेदों से लिए गए है !
प्र.२४ - चार वर्ण कौन- कौन से होते हैं।
उत्तर-
१ - ब्राह्मण
२ - क्षत्रिय
३ - वैश्य
४ शूद्र
२५ - चार आश्रम कौन- कौन से हैं।
१- ब्रह्मचर्य आश्रम
२ - गृहस्थ आश्रम
३ - वानप्रस्थ आश्रम
४- सन्यास आश्रम
प्र.२६ - चार युग कौन - कौन से होते है और कितने वर्षों के ।
उत्तर-
१ - सतयुग - १७, २८००० वर्षों का।
२ - त्रेतायुग- १२,९६००० वर्षों का।
३ - द्वापरयुग- ८, ६४००० वर्षों का।
४ - कलयुग- ४,३२००० वर्षों का ।
कलयुग के ५११९ वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक। ४,26,८८१ वर्षों का भोग शेष बचा है।
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💐🙏आज का वेद मंत्र 💐🙏
🌷ओ३म् कवन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समा:।एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे। ( ४०|२ )
💐भावार्थ :- मनुष्य लोग आलस्य को छोड़कर सबके द्रष्टा न्यायाधीश परमात्मा को, और आचरण करने योग्य उसकी आज्ञा को मानकर शुभ- कर्मों को करते हुए और अशुभ कर्मों को छोड़ते हुए, ब्रह्मचर्य के द्वारा विद्याऔर उत्तम- शिक्षा को प्राप्त करके उपस्य- इन्द्रिय के संयम से वीर्य को बढ़ाकर, अल्पायु में मृत्यु को हटावे, और युक्त आहार-विहार से सौ वर्ष की आयु को प्राप्त करें। जैसे-जैसे मनुष्य श्रेष्ठ कर्मों की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे ही पाप कर्मों से उनकी बुद्धि हटने लगती हैं। जिसका फल यह होता है कि -- विद्या,आयु और सुशीलता आदि गुणों की वृद्धि होती है।
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🕉🙏ज्ञान रहित भक्ति अंधविश्वास है
🕉🙏भक्ति रहित ज्ञान नास्तिकता है
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🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुदिनम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुप्रभातम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सर्वेभ्यो नमः
💐🙏💐🙏कृण्वन्तोविश्मार्यम 💐🙏💐🙏जय आर्यावर्त 💐🙏💐🙏जय भारत