27 Apr
27Apr


🌷🍃ओ३म् सादर नमस्ते जी 🌷🍃

🌷🍃आपका दिन शुभ हो 🌷🍃


दिनांक  - - १७ मार्च  २०१९

दिन  - - रविवार 

तिथि  - - एकादशी 

नक्षत्र- - पुष्य 

पक्ष  - - शुक्ल 

माह  - - फाल्गुन 

ऋतु  - - शिशिर 

सूर्य  - - उत्तरायण 

सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,११९

कलयुगाब्द  - - ५११९

विक्रम संवत्  - - २०७५

शक संवत्  - - १९४०

दयानंदाब्द  - - १९६


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        🌷वैदिक प्रशनोत्तरी🌷


प्र.१ - वेद किसे कहते है ?


उत्तर- ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है।


प्र.२ - वेद-ज्ञान किसने दिया ?


उत्तर- वेद ज्ञान, ईश्वर ने दिया।


प्र.३ - ईश्वर ने वेद-ज्ञान कब दिया ?


उत्तर- ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद-ज्ञान दिया।


प्र.४- ईश्वर ने वेद ज्ञान क्यों दिया ?


उत्तर- मनुष्य-मात्र के कल्याण के लिए।


प्र.५ - वेद कितने है ?


उत्तर- चार प्रकार के ।


१ -ऋग्वेद 

२  - यजुर्वेद 

३ - सामवेद

४  - अथर्ववेद


प्र.६ - वेदों के ब्राह्मण ।


वेद ब्राह्मण


१  - ऋग्वेद - ऐतरेय

२  - यजुर्वेद - शतपथ

३  - सामवेद - तांड्य

४  - अथर्ववेद - गोपथ


प्र.७ - वेदों के उपवेद कितने है।


उत्तर - वेदों के चार उप वेद है ।


वेद उपवेद


१ - ऋग्वेद - आयुर्वेद

२ - यजुर्वेद - धनुर्वेद

३  -सामवेद - गंधर्ववेद

४ - अथर्ववेद - अर्थवेद


प्र ८ - वेदों के अंग हैं कितने होते है ।


उत्तर - वेदों के छः अंग होते है ।


१  - शिक्षा

२  - कल्प

३  - निरूक्त

४  - व्याकरण

५  - छंद

६  - ज्योतिष


प्र.९ - वेदों का ज्ञान ईश्वर ने किन किन ऋषियो को दिया ?


उत्तर- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने चार ऋषियों को दिया ।


वेद ऋषि


१ - ऋग्वेद - अग्नि ऋषि 

२  - यजुर्वेद - वायु ऋषि 

३  - सामवेद - आदित्य ऋषि 

४  - अथर्ववेद - अंगिरा ऋषि 


प्र.१० - वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को कैसे दिया ?


उत्तर- वेदों का ज्ञान ईश्वर ने ऋषियों को समाधि की अवस्था में दिया ।


प्र.११ - वेदों में कैसा ज्ञान है ?


उत्तर- वेदों मै सब सत्य विद्याओं का ज्ञान-विज्ञान है ।


प्र.१२ - वेदो के विषय कौन-कौन से हैं ?


उत्तर- वेदों के चार विषय है।


वेद - विषय


१ - ऋग्वेद - ज्ञान

२ - यजुर्वेद - कर्म

३ - सामवेद - उपासना

४ - अथर्ववेद - विज्ञान


प्र.१३ - किस वेद में क्या है।


ऋग्वेद में।


१ - मंडल - १०

२  - अष्टक - ०८

३  - सूक्त - १०२८

४  - अनुवाक - ८५ 

५  - ऋचाएं - १०५८९


यजुर्वेद में।


१ - अध्याय - ४० 

२- मंत्र - १९७५


सामवेद में।


१ - आरचिक -०६

२  - अध्याय - ०६

३ - ऋचाएं - १८७५


अथर्ववेद में।


१ - कांड - २०

२ - सूक्त - ७३१

३  - मंत्र - ५९७७


प्र.१४ - वेद पढ़ने का अधिकार किसको है ? 


उत्तर- मनुष्य-मात्र को वेद पढ़ने का अधिकार है।


प्र.१५ - क्या वेदों में मूर्तिपूजा का विधान है ?


उत्तर- वेदों में मूर्ति पूजा का विधान बिलकुल भी नहीं।


प्र.१६ - क्या वेदों में अवतारवाद का प्रमाण है ?


उत्तर- वेदों मै अवतारवाद का प्रमाण नहीं है।


प्र.१७ - सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?


उत्तर- सबसे बड़ा वेद ऋग्वेद है।


प्र.१८ - वेदों की उत्पत्ति कब हुई ?


उत्तर- वेदो की उत्पत्ति सृष्टि के आदि से परमात्मा द्वारा हुई । अर्थात 1 अरब ९६ करोड़ ८ लाख ५३ हजार वर्ष पूर्व ।


प्र.१९ - वेद-ज्ञान के सहायक दर्शन-शास्त्र ( उपअंग ) कितने हैं और उनके लेखकों के क्या नाम है ?


उत्तर- 


१ - न्याय दर्शन - गौतम मुनि।

२ - वैशेषिक दर्शन - कणाद मुनि।

३ - योगदर्शन - पतंजलि मुनि।

४ - मीमांसा दर्शन - जैमिनी मुनि।

५ - सांख्य दर्शन - कपिल मुनि।

६ - वेदांत दर्शन - व्यास मुनि।


प्र.२० - शास्त्रों के विषय क्या है ?


उत्तर- आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, जगत की उत्पत्ति, मुक्ति अर्थात सब प्रकार का भौतिक व आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान आदि।


प्र.२१ - प्रामाणिक उपनिषदे कितनी है ?


उत्तर- प्रामाणिक उपनिषदे केवल ग्यारह है।


प्र.२२ - उपनिषदों के नाम बतावे ?


उत्तर- 


१ -ईश ( ईशावास्य ) २ - केन ३ -कठ ४ -प्रश्न ५ -मुंडक ६ -मांडू ७ -ऐतरेय ८ -तैत्तिरीय ९ - छांदोग्य 

१०-वृहदारण्यक ११ - श्वेताश्वतर ।


प्र.२३ - उपनिषदों के विषय कहाँ से लिए गए है ?


उत्तर- उपनिषदों के विषय वेदों से लिए गए है !


प्र.२४ - चार वर्ण कौन-  कौन से होते हैं।


उत्तर- 


१ - ब्राह्मण

२ - क्षत्रिय

३ - वैश्य

४  शूद्र


२५ - चार आश्रम कौन- कौन से हैं। 


१- ब्रह्मचर्य आश्रम 

२ - गृहस्थ आश्रम 

३ - वानप्रस्थ आश्रम 

४- सन्यास आश्रम 


प्र.२६ - चार युग कौन - कौन  से होते है और कितने वर्षों के ।


उत्तर- 


१ - सतयुग - १७, २८००० वर्षों का।

२ - त्रेतायुग- १२,९६००० वर्षों का।

३ - द्वापरयुग- ८, ६४००० वर्षों का।

४ - कलयुग- ४,३२००० वर्षों का ।


कलयुग के ५११९  वर्षों का भोग हो चुका है अभी तक। ४,26,८८१ वर्षों का भोग शेष बचा है। 


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💐🙏आज का वेद मंत्र 💐🙏


🌷ओ३म् कवन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समा:।एवं त्वयि नान्यथेतोऽस्ति न कर्म लिप्यते नरे। ( ४०|२ )


💐भावार्थ  :- मनुष्य लोग आलस्य को छोड़कर सबके द्रष्टा न्यायाधीश परमात्मा को, और आचरण करने योग्य उसकी आज्ञा को मानकर शुभ- कर्मों को करते हुए और अशुभ कर्मों को छोड़ते हुए, ब्रह्मचर्य के द्वारा विद्याऔर उत्तम- शिक्षा को प्राप्त करके उपस्य- इन्द्रिय के संयम से वीर्य को बढ़ाकर, अल्पायु में मृत्यु को हटावे, और युक्त आहार-विहार से सौ वर्ष की आयु को प्राप्त करें। जैसे-जैसे मनुष्य श्रेष्ठ कर्मों की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे ही पाप कर्मों से उनकी बुद्धि हटने लगती हैं। जिसका फल यह होता है कि  -- विद्या,आयु और सुशीलता आदि गुणों की वृद्धि होती है। 


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🕉🙏ज्ञान रहित भक्ति अंधविश्वास है 

🕉🙏भक्ति रहित ज्ञान नास्तिकता है 


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🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुदिनम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुप्रभातम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सर्वेभ्यो नमः 


💐🙏💐🙏कृण्वन्तोविश्मार्यम 💐🙏💐🙏जय आर्यावर्त 💐🙏💐🙏जय भारत

कमैंट्स
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