एक शास्त्रार्थ में मौलाना सनाउल्लाह ने कहा , पंडित जी ! जहाँ आपके " राम ' समाप्त होते हैं ( "म ' पर ) वहीं हमारे मोहम्मद साहब शुरू होते हैं । अतः अब आपको राम का नाम को छोड़कर मोहम्मद का जप करना चाहिए ।
शास्त्रार्थ महारथी रामचन्द्र देहलवी जी बोले " शाबाश मौलाना साहब ! बहुत सुन्दर ! परन्तु मौलाना साहब बीच में क्यों रुक गए आगे भी कहो ।' मौलाना बोले , आगे क्या है ? यह आप ही कह दीजिए । पंडित जी बोले , मौलाना साहब ! जहाँ आपके " मोहम्मद साहब ' समाप्त होते हैं , ("द ' पर ) वहाँ से दयानन्द शुरू हो जाते हैं । इसलिए मोहम्मद साहब को छोड़कर दयानन्द के गीत गाओ ।
मौलाना ने पूछा दयानन्द समाप्त कहाँ होते हैं ? " पंडित जी बोले , दयानन्द जहाँ से प्रारम्भ होता है वहीं समाप्त होता है "अर्थात "द ' से प्रारंभ होकर "द'पर ही समाप्त होता है ।
इस तर्कपूर्ण उत्तर को सुनकर मौलाना की बोलती बन्द हो गई । 📚📚📚📚📚👆👆👆👆