27 Apr
27Apr


🌷🍃ओ३म् सादर नमस्ते जी 🌷🍃

🌷🍃आपका दिन शुभ हो 🌷🍃


दिनांक  - - ११ मार्च २०१९

दिन  - - सोमवार 

तिथि  - - पंचमी 

नक्षत्र  - - भरणी 

पक्ष  - - शुक्ल 

माह  - - फाल्गुन 

ऋतु  - - शिशिर 

सूर्य  - - उत्तरायण 

सृष्टि संवत्  - - १,९६,०८,५३,११९

कलयुगाब्द  - - ५११९

विक्रम संवत्  - - २०७५

शक संवत्  - - १९४०

दयानंदाब्द- - १९६


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      🌷दक्षिणा का महत्व🌷


        🌷यदि आपसे कोई प्रश्न करे कि ‘दक्षिणा क्या है’, तो आप क्या उत्तर देंगे? ऐसी राशि जो ब्राह्मण को दी जाती है या फिर काम करवाने के बाद ब्राह्मण को दी जाने वाली पेमेंट?

आज के आधुनिक एवं शास्त्रों से दूर जा रहे युग में दक्षिणा जैसे शब्द का असल अर्थ खो-सा गया है। लोग दक्षिणा को मात्र मूल्य समझने लगे हैं। उसे एक ऐसी रकम समझते हैं जो बस कार्य सम्पन्न कराने पर दी जाती है, लेकिन क्यों दी जानी चाहिए यह भी नहीं जानते।


      आजकल जहां सब कुछ व्यवसाय बन गया है, इस दुनिया में दक्षिणा को केवल ब्राह्मण को देने तक सीमित समझा गया है। लेकिन दक्षिणा का उपयोग एवं महत्व इससे काफी ऊपर है।

वह भी एक जमाना था जब दक्षिणा ‘गुरु’ को दी जाती थी। एक शिष्य अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरु के यहां निवास करता था, शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब वह विद्वान बनकर घर लौटने के लिए निकलता था तो जाते समय अपने गुरु को धन्यवाद कहने के लिए दक्षिणा देता था।


     यह दक्षिणा केवल सोने, चांदी या सिक्कों की नहीं होती थी। यह दक्षिणा कुछ भी हो सकती थी और गुरु भी शिष्य से मिली इस दक्षिणा को खुशी से अपनाते थे।


      🌷दक्षिणा कौन देता है?


       जब ऋषि-मुनि अपने आश्रम में शिष्यों को ज्ञान दिया करते थे, तब उन शिष्यों द्वारा अपने गुरु को दक्षिणा देने का दौर था। इस दक्षिणा का रिवाज शायद यहीं से आरंभ हुआ।


      🌷क्या देते हैं दक्षिणा में ?


         शिष्य, गुरु को अपनी दक्षिणा किसी भी रूप में दे सकता था। गुरु के पास वर्षों तक रहते हुए वह उनकी और उनके परिवार की यदि सेवा करता, तो वह भी दक्षिणा मानी जाती थी।

उस युग में दक्षिणा की कोई एक परिभाषा या सीमा नहीं थी। एकलव्य ने तो अपने गुरु ‘द्रोण’ को दक्षिणा हेतु अपना अंगूठा तक काटकर दे दिया था। गुरु के एक बार मांगने पर हंसते-हंसते एकलव्य ने यह त्याग किया था।


        🌷धार्मिक उद्देश्य


         लेकिन धार्मिक रूप से दक्षिणा देने का क्या अर्थ है? क्या केवल ‘शुक्रिया’ कहने का एक साधन ही है दक्षिणा या फिर कोई अन्य उद्देश्य भी छिपा है इसमें।



      यह सवाल तब सबसे अधिक उत्पन्न होता है जब हम किसी ब्राह्मण को दक्षिणा देते हैं। एक ब्राह्मण हमें ज्योतिषीय सलाह देता है, हमें धार्मिक कर्म-कांड सम्पन्न कराने में सहयोगी सिद्ध होता है। तो क्या केवल उसके किए गए कार्य का भुगतान ही है दक्षिणा?


       दरअसल यहां दक्षिणा का अर्थ और भी गहरा हो जाता है। दक्षिणा को किए जाने वाले धार्मिक यज्ञ से जोड़कर धार्मिक ग्रंथों में समझाया गया है। जिसके अनुसार यज्ञ सविता है और दक्षिणा सावित्री।


    अर्थात् इन दोनों को अन्योन्याश्रित माना जाना चाहिए। यज्ञ के बिना दक्षिणा की और दक्षिणा के बिना यज्ञ की सार्थकता नहीं होती है। यज्ञ एवं दक्षिणा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, यज्ञ करके हम यज्ञ सविता को प्रसन्न करते हैं और यज्ञ के बाद दक्षिणा देकर हम उनकी पत्नी ‘दक्षिणा सावित्री’ उन्हें देते हैं।


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💐🙏आज का वेद मंत्र 💐🙏


🌷ओ३म् पुरुषऽएवेदं सर्व यदभूतं यच्च भावयम्।उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहि।( यजुर्वेद  ३१|०२ )


💐भावार्थ  :- हे मनुष्यों  ! जिस ईश्वर ने जब-जब सृष्टि हुई है तब-तब रची है, अब उसे धारण कर रहा है, फिर उसका विनाश रचेगा। जिसके आधार से सब वर्तमान है और बढ़ रहा है। उसी परेश परमात्मा की उपासना करो, उससे अन्य की नही। ।


💐भाष्यसार:- जो यह जगत् उत्पन्न करता हुआ दिखाई देता है और जो उत्पन्न होगा तथा जो यह पृथ्वी आदि के रूप में अत्यंत विस्तृत दृष्टिगोचर हो रहा है, इसका प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष सम्पूर्ण जगत् को अविनाशी मोक्ष- सुख का तथा कारण रूप प्रकृति का अधिष्ठाता, सत्य गुण कर्म- स्वभाव से परिपूर्ण परमात्मा ही रचता है। तात्पर्य यह है कि जब-जब सृष्टि हुई है तब-तब परमेश्वर ने ही इसे रचा है। वहीं वर्तमान में इसे धारण कर रहा है, इसका विनाश- प्रलय करके फिर वही रचेगा। उसी के आधार से सब वर्तमान है और बढ़ रहा है। सब मनुष्य उसी की उपासना करें, अन्यों की नही। 


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🕉🙏ज्ञान रहित भक्ति अंधविश्वास है 

🕉🙏भक्ति रहित ज्ञान नास्तिकता है 


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🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुदिनम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सुप्रभातम् 🌷🍃🌷🍃ओ३म् सर्वेभ्यो नमः 


💐🙏💐🙏कृण्वन्तोविश्मार्यम 💐🙏💐🙏जय आर्यावर्त 💐🙏💐🙏जय भारत

कमैंट्स
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