16 Nov
16Nov

💐 ओ३म् 💐


🌹आर्य समाज का विरोध पाखंडी लोग ही करते हैं :-🌹


आर्य समाज वालों के अलावा भी कोई अपने आपको आर्य कहता है क्या ? मुझे तो नहीं लगता ! क्योंकि इनके अलावा कोई अपने आपको शिव का भक्त बताता है, कोई गणेश का, कोई राधा का, कोई साई का आदि !

 कोई अपने आपको हिन्दू कहता है कोई सनातनी ! आखिर ये लोग भ्रमित क्यों हैं ? जब एक ईश्वर है तो सिर्फ उसकी बात क्यों नहीं करते ?क्यों इसके बनाये वैदिक नियमों पे नहीं चलते ?

    आर्य समाज तो प्रवेश द्वार है सत्य सनातन वैदिक धर्म का।आर्य समाज से जुडे बिना तो सत्य सनातन वैदिक धर्म को समझा ही नहीं जा सकता ! कुछ हिन्दू लोग कहते हैं कि हमारा विरोध आर्य व सनातनी लोगों से नहीं है, हमारा विरोध तो आर्य समाजी लोगों से है ! 


लेकिन देखिये आर्य समाज से जुड़े लोग वेद मत का प्रचार करते हैं ! जो एकमात्र ईश्वरकृत है ! फिर इनसे विरोध क्यों ? इनका विरोध करने वाला ईश्वर के नियमों को न मानने वाला होकर ईश्वर पर शक करने वाला होने के कारण नास्तिक हुआ !

 जो ईश्वर को छोड़कर मृतक और काल्पनिक देवी देवताओं की पूजा अर्चना तर्पण चढ़ावा आदि करता है वो तो नास्तिक है !

     वहीं लोग आर्य समाज का विरोध करते हैं जो सत्य सनातन धर्म के विरोधी हैं ! जो सत्य के विरोधी हैं !! सीधी सी बात है कि वो पाखण्ड के समर्थक हैं !!!

     आर्य समाज से जुड़ें लोग उस विचारधारा का प्रचार करते हैं जिसमें सभी वेदोक्त ग्रन्थ लिखे गये हैं ! जिन ग्रंथों के कारण भारत विश्व में जाना जाता है ! अरे भाई पुराणों की लाखों करोडों एक दूसरे की विरोधी विचारधाराओं को कौन पूछता है !

 क्या विभिन्न प्रकार के विरोधी लोग कभी एकमत हो सकते हैं ? वेदोक्त ग्रन्थों की किसी भी बातों में विरोध दिखाई नहीं देता ! लेकिन पुराण, कुरान वाइबल आदि मनुष्यकृत विचारधाराओं में जगह-जगह विरोध दिखाई देता है !!

वेदमत भी तो एक विचारधारा है जैसे :-

 इस्लाम, ईसाईयत, पौराणिक आदि ! 

🌹लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि वेद ईश्वरकृत है ! ईश्वरकृत इसलिए क्योंकि इस की हर बात सत्य है ! सत्य ईश्वर का है तो हर सत्य बात ईश्वर की हुई ! सत्य न मेरा न किसी ओर का है ! जब सभी सत्य ईश्वर की प्रेरणा से मनुष्य जानता है, ईश्वर की प्रेरणा से ज्ञान प्राप्त करता है,

 तो मनुष्यों को जो भी ज्ञान मिला है उसका कारण ईश्वर ही है ! जैसे पक्षी उड़ना नहीं सीखते, लेकिन उडते हैं !! क्योंकि ईश्वर उनको अपनी प्रेरणा से ज्ञान देता रहता है ! पशु तैरते हैं, कोई उनको तैरना नहीं सिखाता, लेकिन वो तैरते हैं ! 

ये सब ईश्वर द्वारा उनको दिये गये ज्ञान के कारण संभव होता है ! ये जो ज्ञान पशु-पक्षियों आदि के अन्दर होता है, ये उनका वेद ज्ञान है ! सभी मनुष्यों को ईश्वर की प्रेरणा से जो ज्ञान प्राप्त होता है वो मनुष्यों का वेद ज्ञान है !!

कहने का मतलब ये है कि जो बातें ईश्वरकृत है आर्य समाज उनका प्रचार करता है ! ये सब बातें पुस्तकों में लिख दिये जाने के कारण उन पुस्तकों को वेद कहा गया ! वैसे वेद पुस्तक का नाम नहीं है ! 

उनके अन्दर लिखी हुई बातें वेद हैं, मालूम हो कि वेद ज्ञान को कहते हैं ! सभी प्रकार के ज्ञान का पुण्यात्माओं द्वारा ज्ञानरूपी - वेदरूपी पुस्तकों में लिख देने के कारण उनके अन्दर के सभी ज्ञान को वैदिक धर्म नाम दिया गया है !!

    इस ज्ञान का प्रचार ही आर्य समाज करता है ! जो भी विचारधारा वैदिक विचारधारा की विरोधी होगी या जो भी व्यक्ति इस विचारधारा का विरोधी रहा हो या विरोध कर रहा है, आर्य समाज का उद्देश्य उसकी बातों का खंडन करने का होता है !

 क्योंकि वो दूसरी विचारधारा किसी व्यक्ति की है !!जो ईश्वरकृत नियमों, सत्य सनातन का विरोध करेगा वो आर्य समाज का भी विरोधी है ! इसलिए ही आर्य समाज उसे समझाता है कि भई ये बात ईश्वर की नहीं हो सकती !

     आप एक निश्चित उद्देश्य व निश्चित दिशा वाली वैदिक विचारधारा का विरोध करके किसी व्यक्ति के उसके निजी विचार की बात कर रहे हैं, जो वैदिक विचारधारा से विरोधी होने के कारण सत्य और सनातन नहीं है !!

 जो जो ऋषि, महर्षि, महापुरुष वैदिक विचारधारा का पक्ष करते आर्य समाज उनका कभी विरोध नहीं करता ! लेकिन जिन लोगों या संगठनों ने इस विचारधारा का विरोध किया है ! आर्य समाज उस व्यक्ति की/संगठन की गलत बातों को सबके सामने रखता है ! 

आर्य समाज ये कहता है कि केवल ईश्वर की कही बातों से ही विश्व के सभी मनुष्य एक हो सकते हैं, लोगों की अपने निजी स्वार्थ साधने व राजनीति उद्देश्य प्राप्त करने के कारण बनाई कहानियों से नहीं !!


सनातन आर्य समाज का आधार है।कुछ लोग कितने बड़े भ्रम में है कि सनातन उस बात को भी मानते हैं, जो आज मान्य ही नहीं हो सकती ! जो पहले था, अब भी है आगे भी रहेगा, यही तो सार है धर्म का !!

    इसी का प्रचार आर्य समाज करता है ! आर्य समाज से जुडा हर मनुष्य सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करता है ! लोगों को आर्य समाज से जुड़ने के लिए कहने का उनका उद्देश्य सिर्फ ऐसे लोगों की संख्या बढाने से है, जो वैदिक धर्म का प्रचार करे 

! संगठन के निर्माणकर्ता स्वामी दयानन्द का उद्देश्य भी यही था कि वेदमत जो सभी को मनुष्य कहकर विश्व को एक करने वाला मत है, पाखंडियों के द्वारा लगभग नष्ट कर दिया गया है !! उसका पुनः प्रचार-प्रसार आर्य समाज संगठन बनाकर करो !! 

स्वामी जी ने क्या गलत कह दिया? हाँ, दुष्ट पाखंडियों के पेट पर उन्होंने लात मारी है, इसलिए आर्य समाज उनका दुश्मन है ! अगर आर्य समाज उनका दुश्मन है, तो उनका दुश्मन सत्य सनातन वैदिक धर्म भी है, जिसका प्रचार आर्य समाज करता है !!


🌹कुछ लोग आर्य समाज के उद्देश्य को न समझने के कारण ही आर्य समाज से दूरी बनाये रखते हैं।🌹

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